रेस्टारेंट का मालिक तुरंत बाहर निकल आया, मुझसे कहा “आप परेशान ना हो मै बात करता हूं” वो चारों आपस में कश्मीरी भाषा मे तेज आवाजों में बातें कर रहे थे, 5-7 मिनटों बाद रशीद मेरे पास आया “भाई साहब परेशान होने की जरूरत नहीं है ... थोड़ी ही देर में निकल जायेंगे, जिस रास्ते से हम जा रहें हैं, वहां सब ठीक है” रेस्टारेंट का मालिक भी बोलने लगा “देखिये सर बात अक्सर इतनी बड़ी होती नहीं, जितनी बताई जाती है, थोड़ी देर रुकिये अभी पूरी जानकारी मिल जायेगी, कश्मीर की सबसे बड़ी प्राब्लम यही है यहां की हर बात बढ़ा चढ़ा कर बताई जाती है, आप सब आराम से बैठिये मैं और चाय बनवाता हुँ” उसके हट्ते ही पत्नी मेरे पास आयी, चेहरे पर चिंता थी “ज्यादा गड़बड़ है क्या...” “नहीं-नहीं कोई छोटी मोटी वारदात हुई है, परेशान होने जैसी कोई बात नहीं” मैने कहा.
यात्रा अभी शुरू ही हुई थी और ये घट्ना... कश्मीर के बारे में अब तक पढ़ा-सुना और बताया गया आखों के सामने एक क्षण में घूम गया. मुझे अपने कश्मीर भ्रमण का सपना यहीं खत्म होता नज़र आ रहा था. सामने हल्की धूप मे चमकती बर्फीली चोटियाँ पास आने का इशारा कर रही थी और ठंडी हवा के हल्के झोंके कानों में फुसफुसाकर कह रहे थे “सब ठीक है… सब ठीक है”
तभी मिलिट्री की एक ट्रक वहां आकर रुकी, फौजी अफसर की वर्दी पहने एक शख्स नीचे उतरा और पीछे बैठे सभी फौजियों को उतरने का आदेश दिया और हमारी ओर बढ़ा “सभी को चाय”“जी” रेस्टारेंट के मालिक ने कहा, तब तक रशीद उस अफसर के पहुँच गया, मै भी बढ़ा. “सर अनंतनाग के पास किसी वारदात की खबर है, मै टूरिस्ट लेकर श्रीनगर जा रहा हूं, क्या.. आगे बढ़ना ठीक रहेगा...” “नहीं-नहीं परेशान होने की जरूरत नहीं अनंतनाग के पास कुछ आतंकवादियॉ को फौजियों ने घेर लिया था, गोलीबारी हुई और सारे आतंकवादियॉ को मार गिराया गया, आप सब बेफिक्र होकर श्रीनगर जा सकते हैं” “थैक्यू सर” मैने कहा “उम्मीद है आगे भी सब ठीक-ठाक रहेगा” फौजी अफसर मेरी ओर बढ़ा और उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया “मेजर संजय शर्मा ” मैने उससे गर्मजोशी से हाथ मिलाया “मै अय्यर छत्तीसगढ़ से”“आप बेफिक्र होकर पूरा कश्मीर घूमिये, इंडियन आर्मी पर भरोसा रखिये, वो हर जगह आपको सुरक्षित रखेगी और वैसे भी अब स्थिति पहले से काफी बेहतर है, अच्छी बात तो ये है की बेहद खराब समय मे भी यहां ढेरों टूरिस्ट आते रहे. आपको मै बता दूं यहां का आम आदमी भी अमन चाहता है, बस थोड़े से लोग हैं जो आतंकवादी गतिविधियों मे लगे हैं, विश्वास कीजिये बहुत जल्द सब कुछ सामान्य हो जायेगा” उस फौजी अफसर की आत्मविश्वास भरी बातें सुनकर मुझे इंडियन आर्मी पर गर्व हो आया. इन सब बातों के बीच चाय की प्यालियां आयी और खत्म भी हो गयी. मेजर संजय शर्मा ने एक बार फिर मुझसे हाथ मिलाया और ट्रक में ड्राइवर के बगल मे सवार हो गया, एक-एक कर सारे फौजी भी ट्रक में सवार हो गये, ट्रक स्टार्ट होकर आगे बढ़ने लगी, हम सब तब तक हाथ हिलाकर बाय करते रहे जब तक ट्रक आखों से ओझल ना हो गयी.
मैने रेस्टारेंट के मालिक को चाय नाश्ते के पैसे दिये धन्यवाद दिया और रशीद से चलने को कहा. हम सब गाड़ी मे सवार होने लगे. ग़ाड़ी निकल पड़ी, 5 – 10 मिनट सब चुपचाप बैठे बाहर का नज़ारा देखते रहे, रशीद हमारी मन: स्थिति समझ रहा था. अचानक उसने पूछा “सर कभी आपने कश्मीरी गीत सुना है” मैने इंकार मे सिर हिलाया और रशीद ने एक गीत मधुर आवाज मे गाने लगा, हम शब्दों का अर्थ समझ नहीं पा रहे थे मगर धुन में खो से गये. थोड़ी ही देर मे सब सामान्य हो गये रशीद का गीत खत्म होते-होते हमारा कश्मीर भ्रमण का उत्साह फिर तरोताजा हो चुका था.
रशीद अब रास्ते में पड़ रहे गाँव और अन्य जानकारियाँ देता जा रहा था. एक लम्बे चक्करदार घुमाव से पार होते ही सामने मिलिट्री का रोड बैरियर सामने आया, गाड़ी पास ले जाकर रोकते हुये रशीद ने बताया “जवाहर टनल के पहले चेकिंग होती है” कुछ जवान गाड़ी के पास आये, मुझसे व्यक्तिगत जानकारियां ली, गाड़ी के अंदर नजर घुमायी और मुस्कुराते हुये आगे बढने का इशारा किया, बैरियर खुला और हम तेजी से जवाहर टनल कि ओर बढने लगे. हवा में ठंडक बढ़ने लगी हम लोगों ने खिड़कियों के शीशे उठा दिये.
... …क्रमश:...