शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

जिन कश्मीर नही देख्या.......

कश्मीर के बारे मे पढ़ना और सुनना एक लम्बे समय तक होता रहा, तस्वीरें भी जब-जब देखी ऐसा लगता मानो हर तस्वीर मे से एक रास्ता निकल आयेगा और हम सीधे उस तस्वीर में दिख रहे रास्ते के जरिये कश्मीर मे प्रवेश कर जायेंगे, काश ऐसा हो पाता...
प्राकृतिक सौन्दर्य से मंत्र मुग्ध होते हुए, आतंक की हवा के जेरेसाया कोई कैसा मह्सूस कर सकता है? यह बयान करना इसलिये सम्भव नही है, क्योंकि दोनो ही अहसास एक साथ आपके दिमाग पर हरदम हावी रहते हैं, और हम दोनो से ही कभी मुक्त नहीं रह पाते.



खैर मेरी कोशिश है आपको मेरी कश्मीर यात्रा के कुछ ऐसे पहलुओं से रूबरू कराऊं, जो आमतौर पर सामने नहीं आ पाती.


शाम 5 बजे जब हमारी ट्रेन जम्मु स्टेशन पहुंची.......
...शेष अगली बार...

4 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

यायावर के यात्रा अनुभवों का इंतजार रहेगा

P.N. Subramanian ने कहा…

चिटठा जगत में आपका स्वागत है. बहुद जल्द ही आपने कॉमर्शियल ब्रेक दे दिया. अभी तो भूमिका भी पूरी नहीं हुई थी. खैर अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा.

36solutions ने कहा…

स्‍वागत है भईया.

अगली कडि़यों का इंतजार है.

Asha Joglekar ने कहा…

Aha, kashmeer kee yatra ,tab to rochak warnan aur mohak chitron kee rah dekhte hain.